मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
तिरंगे की शान में !
स्वतंत्रता दिवस ... प्रत्येक वर्ष आज के दिन हम आजाद भारत का इतिहास अपने
कर्णधारों को सुनाने व बताने के साथ बड़े ही उत्साह व सम्मान से ध्वजारोहण करते
हैं। तिरंगे को फहराते ही मन
में एक उत्साह एक उमंग सी होती है, राष्ट्र के प्रति हमारा प्रेम कई रूपों में जागृत होता, आज हम आजाद मुल्क में सांस ले पा रहे हैं इसके
पीछे त्याग और समर्पण का जज्बा था जो इसे प्राप्त करने के लिये उस वक्त जुनून बन गया था उसी के परिणामस्वरूप इसे हासिल किया जा सका। आजादी के संग्राम को किसी बल से नहीं बल्कि सत्य
एवं अहिंसा के रास्ते पर चलकर पाया गया था। प्रत्येक वर्ष हम स्वतंत्रता दिवस मनाकर वीर सेनानियों एवं महान राष्ट्रीय नेताओं को
श्रद्धांजलि देते हैं, यह
राष्ट्रीय पर्व हमारे गौरव का प्रतीक है।
स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थाओं के साथ ही तिरंगा फहराने के साथ ही प्रमुख शासकीय भवनों पर रौशनी का किया जाना एवं खेलकूद के साथ ही कई प्रतियोगिताओं का आयोजन करने के साथ ही राष्ट्रीय अवकाश का घोषित होना इस बात का प्रतीक है कि हमें आज के दिन को हर्षोल्लास एवं भाईचारे के साथ मनाना चाहिये। राष्ट्र प्रेम, आपसी सद्भाव एवं भाईचारे साथ विकास के प्रति हम सदैव जागरूक रहें, अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना हमें एक कदम आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करेगा, इसीलिए कहा भी गया है कि ....
आप में जितना अधिक अनुशासन होगा, आप में उतनी ही आगे बढ़ने की शक्ति होगी।
कोई भी व्यक्ति जिसमें
न तो थोपा गया अनुशासन है, ना ही आत्मा का अनुशासन,
वह विकास की राह से विमुख हो जाएगा ...
झंडा ऊँचा रहे हमारा...विजयी विश्व तिरंगा प्यारा...
यह गीत भारत का हर बच्चा गुनगुनाता है... बड़े ही शान से। आख़िर क्या बात है इस ध्वज में जिसने आज़ादी के परवानों में एक नया जोश भर दिया था और जो आज भी हर भारतीय को अपने गरिमामय इतिहास की याद दिलाता है और विभिन्नता में एकता वाले इस देश को एक सूत्र में बाँधे हुए है। देश के प्रथम नागरिक से लेकर आम नागरिक तक इसे सलामी देता है। 21 तोपों की सलामी से सेना इसका सम्मान करती है। किसी भी देश का झंडा उस देश की पहचान होता है। तिरंगा हम भारतीयों की पहचान है। इसी के साथ ध्वज के सम्मान की बात भी स्पष्ट कर दी गई कि ध्वज फहराने के समय किस आचरण संहिता का ध्यान रखा जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज कभी भूमि पर नहीं गिरना चाहिए और ना ही धरातल के संपर्क में आना चाहिए।
आज 67वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर हम एक बार फिर से वीर सेनानियों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ यही कामना करते हैं कि इसका सम्मान युगों – युगों तक यूँ ही कायम रहे .... एवं हम अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव जागरूक रहें ...
तिरंगे की शान में जब भी, सुमन अर्पित करता हूँ,
देश तुझे ये दिल ही नहीं जां भी समर्पित करता हूँ ।
जय हिन्द !
सोमवार, 4 फ़रवरी 2013
ये शौक़ भी ... !!!
मायने बदल जाते हैं हर बार,
हर शब्द के
जिन्दगी में कई बार
कहते सुना
आराम हराम हो गया :) सच
पहेलियाँ बूझने की उम्र नहीं रही
पर फिर भी लोगों को
जाने क्यूँ पहेलियाँ बुझाने में
ज्यादा आनन्द आता है
सामने वाले का
चैन उन्हें भाता जो नहीं
किसी विधि हर लिया जाये
बस नित नये तरीके अपनाना
आदत में शामिल कर लिया
तभी से पहेलियाँ बुझाने का
नया शौक पाल लिया
....
कुछ लोग हुनरमंद होते हैं
लेकिन फिर भी अपना हुनर
कभी भी कायदे के काम में नहीं लेते
हमेशा बेक़ायदा हो
हाजि़र हो जाते हैं किसी भी वक़्त
गैरजरूरी काम में खुद तो उलझते ही हैं
दूसरों को भी उलझाने का
शौक़ पाल लेते हैं
....
ये शौक़ भी बड़ी अज़ीब शय है
कभी आपसे ये
अपने सुकून के लिये
जाने कितने जतन करा लेता है
कितने ही मन चाहे काम
व्यर्थ करा लेता है !!!!!!!
...
हर शब्द के
जिन्दगी में कई बार
कहते सुना
आराम हराम हो गया :) सच
पहेलियाँ बूझने की उम्र नहीं रही
पर फिर भी लोगों को
जाने क्यूँ पहेलियाँ बुझाने में
ज्यादा आनन्द आता है
सामने वाले का
चैन उन्हें भाता जो नहीं
किसी विधि हर लिया जाये
बस नित नये तरीके अपनाना
आदत में शामिल कर लिया
तभी से पहेलियाँ बुझाने का
नया शौक पाल लिया
....
कुछ लोग हुनरमंद होते हैं
लेकिन फिर भी अपना हुनर
कभी भी कायदे के काम में नहीं लेते
हमेशा बेक़ायदा हो
हाजि़र हो जाते हैं किसी भी वक़्त
गैरजरूरी काम में खुद तो उलझते ही हैं
दूसरों को भी उलझाने का
शौक़ पाल लेते हैं
....
ये शौक़ भी बड़ी अज़ीब शय है
कभी आपसे ये
अपने सुकून के लिये
जाने कितने जतन करा लेता है
कितने ही मन चाहे काम
व्यर्थ करा लेता है !!!!!!!
...
मंगलवार, 1 जनवरी 2013
जाने कितनी बार !!!
जब से हालात बदले हैं
हर पिता का मन
मां की सोच का समर्थन
करने लगा है
...
कभी हँस कर टाल दिया करता था
जो मन माँ की सोच को
तुम तो नाहक ही चिंता करती हो
वह अब बिटिया के जरा सी देरी पर
अन्दर बाहर होता है ....
शाम ढले जाने कितनी बार !!!
हर पिता का मन
मां की सोच का समर्थन
करने लगा है
...
कभी हँस कर टाल दिया करता था
जो मन माँ की सोच को
तुम तो नाहक ही चिंता करती हो
वह अब बिटिया के जरा सी देरी पर
अन्दर बाहर होता है ....
शाम ढले जाने कितनी बार !!!
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