आप सब इनकी लेखनी से बखूबी परीचित हैं ... जी हां जिक्र है आज
आदरणीय रश्मि प्रभा जी की पुस्तकों का जो उपलब्ध हैं एक साथ ... 40 प्रतिशत की विशेष छूट के साथ
तो आइये मिलते हैं उनकी पुस्तकों से
(1)
शब्दों का रिश्ता ...
शब्दों के बीच आम इंसान बहुत घबराता है!
शब्दों का जोड़-घटाव उनके सर के ऊपर से गुजरता है
वे भला कैसे जानेंगे उनको-
जिनके सर से होकर आँधियाँ गुज़रती हैं....
(2) अनुत्तरित ....
अनुत्तरित सवाल
परिक्रमा करते हैं रूह की तरह
चाहते हैं उत्तर का तर्पण
पर जहाँ अपनी सोच से उठते है सवाल
होते हैं अक्सर अनुत्तरित
(3) महाभिनिष्क्रमण से निर्वाण तक ...
निर्वाण सत्य है या असत्य
जो भी है .... इसकी चाह है
चाह को पाने के लिए होता है महाभिनिष्क्रमण ...
महाभिनिष्क्रमण !
घर त्याग
या मन का त्याग ?
(4) खुद की तलाश ...
यह तलाश क्या है,
क्यूँ है
और इसकी अवधि क्या है !
क्या इसका आरंभ सृष्टि के आरंभ से है
या सिर्फ यह वर्तमान है
या आगत के स्रोत इससे जुड़े हैं ?
आप इन सबको एक साथ पा सकते हैं इंफीबीम पर तो फिर चलें !!!
या फिर डॉयल करें .... 079- 40260260