शुक्रवार, 27 जनवरी 2012
मंगलवार, 17 जनवरी 2012
कुछ कहना शेष था ....
यह जीवन का कौन सा
अध्याय है
समझ नहीं पा रही हूं
कल जब से
मैने उस वृद्धा को
कचरे के ढेर पर बैठकर
रोटी के टुकड़ो को
साफ करने के बाद
आपने आंचल में
बांधते देखा
ना चाहते हुए भी
आंख नम हो गई .....
आवाज देकर पुकारने में
वह हड़बड़ा कर उठी
और तेज कदमों से
अंजान सी गली में
अदृश्य हो गई
उसके जाने के बाद भी
वह मुझे दिखाई देती रही
पूछता रहा मौन उसका
ये कौन सा अध्याय है
जिसमें अपनी ही
लाचारी के बारे में
कुछ कहना शेष था ....
सोमवार, 2 जनवरी 2012
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