शनिवार, 27 अगस्त 2011

पूरी हथेली ... !!!!












(1)
अक्षर जैसे एक अकेली उंगली
शब् जैसे कोई
पूरी हथेली ... !
शब् का अर्थ
वज़न अपनी बात का .... !!
पंक्ति हो जाती यूं
जैसे धरती पे साया आकाश का ......!!!!

(2)
कितना भी
तन तेरा दुर्बल हो,
जीते जी
मन की हार नहीं होने देना,
दुर्गम हो पथ कितना भी
आगे बढ़ना ...
मन को
थकन का भार नहीं होने देना ....

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

आज भी कैद हैं ...!!!








मुल्‍क को आजाद हुये

बरसों बीत गये

पर हम अपने मन

से आज भी कैद हैं ...!

कभी सरहद के

रस्‍ते

कभी मन में

पनपती बदले की भावना....!!

दुश्‍मनी निभानी हो तो

भूल जाओ तुम

दिल से

प्‍यार रिश्‍ते और

अहसासों को ....!!!