ढूंढा करती हैं तुझको अब भी जाती हुई
सूरज की किरणें नदिया के किनारों पर ।
पत्थर वो नदी के सूने हैं जिन पर बैठ,
रखते थे निगाह आती जाती धारों पर ।
नहीं मिलते बचपन के साथी कोई यहां,
रहते थे यहां जो बारिश की बौछारों पर ।