मंगलवार, 31 जुलाई 2012

कुछ की फितरत होती है ....

कुछ असभ्‍य चेहरों ने
लगा लिया है नक़ाब सभ्‍यता का
हर चेहरे पर है चेहरा
कई रूपों में मिलता है यह नक़ाब
कुछ की कीमत चुकानी होती है
कुछ को छीन लिया जाता है
कुछ विरासत में पा लेते हैं
...
क़ायदा पढ़ने की चीज़ नहीं होती
सिखाने की भी नहीं होती
क़ायदा जब मन कहता है तभी
बस करने को जी चाहता है किसी का
...
बदलना यूँ तो  आसान नहीं होता,
कुछ बदलाव हालात करा देते हैं
कुछ करते हैं समझौता खुद से
पर कुछ की फितरत होती है
बदल जाने की ...
...





सोमवार, 16 जुलाई 2012

कुछ बूंदे उम्‍मीद की !!!

कुछ बूंदे उम्‍मीद की
बरसी हैं बादलों से झगड़कर
आईं हैं धरती पर प्‍यास बुझाने उसकी
मिलकर माटी से हो गई हैं माटी
सोंधेपन की खुश्‍बु जब
लिपट गई गई झूम के बयार से
सावन ने हथेली में लिया प्‍यार से
उम्‍मीद की कुछ बूंदों को
मेंहदी में मिलाकर
रचा लिया जो हथेलियों को
...
कुछ बूंदे उम्‍मीद की
बरसी हैं
किसान की आंखों से
बीज़ बो आया है धरती में
अभिषेक उसका ये सफल होगा
आने वाला कल शीतल होगा
...

बुधवार, 11 जुलाई 2012

चांद की लोरी से .....

दर्द की आंखों में सूनापन देखकर
अब जी घबराता नहीं
बस यह लगता था कि कहीं ये रो न दे
मेरी मायूसियों का चर्चा रहा
सारा दिन उसकी पलकों पे
कोई ख्‍वाब बह गया गया तो
कैसे संभाल पाएगी वह
....
कातिलों का शहर है  नींद
जाने कितने ही ख्‍वाबों का कत्‍ल होता है
हर रात यहां
गवाही देने के लिए कोई नहीं आता
तारे सो जाते हैं चांद की लोरी से
सूरज जब तक पहरे पे होता है
कोई खामोशी के लिहाफ़ से
बाहर झांकता नहीं ...