किताबों में सिर्फ़ शब्द ही नहीं होते
उन शब्दों के अर्थ जिन्दगी से होते हैं
कुछ किताबें होती हैं बिल्कुल
जिन्दगी की तरह
कभी सुलझी कभी उलझी
कभी भावनाओं में बहती हुई
किताबों सा हमनशीं कोई नहीं होता
कभी शिका़यत नहीं कभी बेरूखी नहीं
जब तुमने चाहा वो तुम्हारे
साथ हो लेती हैं
बिना थके वर्क़ दर वर्क़
खुलती जाती हैं
बिना किसी झुंझलाहट के !!!
...
उन शब्दों के अर्थ जिन्दगी से होते हैं
कुछ किताबें होती हैं बिल्कुल
जिन्दगी की तरह
कभी सुलझी कभी उलझी
कभी भावनाओं में बहती हुई
किताबों सा हमनशीं कोई नहीं होता
कभी शिका़यत नहीं कभी बेरूखी नहीं
जब तुमने चाहा वो तुम्हारे
साथ हो लेती हैं
बिना थके वर्क़ दर वर्क़
खुलती जाती हैं
बिना किसी झुंझलाहट के !!!
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