मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
जब भी मिले वो ....
रूह जब भी तड़पती है,
किसी की याद में,
सिसकियां
दम तोड़ देती हैं
उसके आगोश में ....।
मुहब्बत के
दस्तूर भूल कर
जब भी मिले वो
किसी ने किसी की
शिकायत नहीं की
एक दूसरे से ....।
वो गैरों की खुशी के लिये
हमेशा मिलकर जुदा होते रहे
और मुहब्बत पे अपनी
सितम करते रहे ...।।
गुरुवार, 21 अप्रैल 2011
असुरक्षित होती रेल यात्रा ........
भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है यह देश की जीवन धारा हैं और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इसका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है भारतीय रेल को 121 करोड़ की आबादी वाले अपने देश में परिवहन का सबसे सस्ता और सहज साधन माना जाता है ... केन्द्र सरकार के विभागों के बीच इसका महत्व कितना अधिक है इसमें कोई दो राय नहीं है प्रतिवर्ष इसका अलग से बजट पारित होना एवं नई – नई रेल लाइनों का विस्तार होना आदि शामिल है लेकिन अत्यधिक खेद का विषय है कि पिछले कुछ समय से यह यात्रा इतनी सहज एवं सुरक्षित नहीं रह गई।
एक के बाद एक हुई रेल घटनाओं से तो यही प्रतीत हो रहा है कि रेल यात्रा मुसाफि़रों के लिये सुरक्षित नहीं रह गई उन्हें कभी दुर्घटनाओं से अपनी जान से हांथ धोना पड़ता है तो कभी आपराधिक तत्वों द्वारा की गई लूट आदि की घटनाओं में अपने धन के साथ तन को भी गंवाना पड़ता है हाल ही में राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल और वालीबाल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा के साथ हुये हादसे से हम अनभिज्ञ नहीं हैं ... आंसुओं से भीगी उनकी दास्तान पढ़कर ऐसे पलों के लिये हम किसे दोषी ठहरा सकते हैं। जाहिर सी बात है उन्होंने संघर्ष किया होगा एवं स्वयं को भी सुरक्षित रखना चाहा होगा ..परन्तु उनकी सहायता कोई नहीं कर सका
इस जन-उपयोगी सुविधा को विस्तार पूर्वक आगे बढ़ाने के लिये जिस प्रकार इसके पदासीन मंत्री एवं आला अफसर कृत संकल्पित हैं उसी प्रकार इसकी बेहतरी के लिये भी आने वाले समय में उचित प्रयास करें ताकि मुसाफि़र भयमुक्त होकर यात्रा कर सकें भले ही नई रेलगाडि़यो को चालू ना किया जाये लेकिन जितनी भी चल रही हैं उनमें सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित किये जाने चाहिये ताकि आम जनता सुरक्षित रूप से यात्रा कर सके।