गुरुवार, 17 जून 2010

26 वर्षों के बाद भी इंसाफ नहीं ....

दुनिया की भीषण गैस त्रासदी का दंभ भोपाल गैस कांड हादसा आज भी रोंगटे खड़ा कर जाता है, इसके दुष्‍परिणाम को आज भी अनगिनत लोग झेल रहे हैं, उन पर विकृत बच्‍चों का जन्‍म मां की आंखों में गाहे-बगाहे आंसुओं का सैलाब ले आता है, उस घड़ी को याद कर, लेकिन हमारे यहां की कानून व्‍यवस्‍था 26 वर्षों के बाद भी इन पीडि़तों को इंसाफ नहीं दिला सकी, इस हादसे में कितनी लापरवाही बरती गई इसको बयान करने चले तो कोई पाक दामन नहीं रह पाएगा, कानून का इतना ढुलमुल रवैया लोगों को इतना आक्रोषित नहीं करता यदि इन पीडि़तों के साथ इंसाफ हुआ होता, मुआवजे की राशि का लाभ पीडि़तों को कम और दूसरों का ज्‍यादा मिला, पीडि़तों को मिली उखड़ती सांसे, घुटनों के बल घिसटती जिंदगी, अपनों से बिछड़ने की सजा, आंखों में छाता दिन ब दिन अंधकार, फिर भी मन के किसी कोने में आशा की एक किरण थी कि इसके आरोपियों को सरकार सजा दिला कर रहेगी, यूनियन कार्बाइड कंपनी के सीईओ एंडरसन और अन्‍य आरोपियों को इतनी आसानी से छोड़ना न्‍यायसंगत नहीं है, यह सिर्फ भोपाल वालों की ही आवाज नहीं हर हिन्‍दुस्‍तानी की आवाज है, पीडि़तों को न्‍याय मिलना चाहिये।

गुरुवार, 10 जून 2010

किसी का गिला ...





किसी का गिला किसी से किया,

दिल का बोझ अपने हलका किया ।

भर गया सब्र से प्‍याला आंखों का,

उन्‍हें चंद अश्‍कों से छलका दिया ।

मंगलवार, 1 जून 2010

अनुपम हिस्‍सा ....


मां की मुस्‍कान

पिता का गुस्‍सा

दोनो जीवन का है

अनुपम हिस्‍सा

वादे पिता के

सपने मां के

दोनो मिलकर

जीवन को

देते हैं आकार ।