टूटी खाट पर
जब भी मां
मैं तेरा बिस्तर लगाता हूं
मेरी पीठ
दर्द से दुहरी हो जाती है ।
मैं समेटता हूं
सपनों को बन्द करके आंखों को
जब भी
गरम आंसुओं की
कुछ बूंदे
तेरा दामन भिगो जाती हैं ।
एक सिहरन पूरे शरीर में होती है,
जब तेरी झुकी कमर
टेककर लाठी
मेरे लिये खेतों पे रोटी लाती है ।