हर पीढ़ी अपनी भाषा गढ़ती है, अपनी बातों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए हर पीढ़ी ने नये-नये तरीके ईज़ाद किए, कभी कबूतर तो कभी कोई खा़दिम जरिया होता था इनके संदेशों के आदान-प्रदान का फिर पोस्टकार्ड व अंतर्देशीय में रूचि बढ़ी इनके साथ-साथ भाये ग्रीटिंग कार्ड व ई-कार्डस भी, लेकिन परिवर्तन की बयार अभी थमी नहीं है क्योंकि आ चुके हैं आज की युवा पीढ़ी के स्माइली :) इनका परिचय आप सभी से हो ही चुका होगा देर-सेवर ही सही समझा हो आपने लेकिन एक सहज़ मुस्कान बिखेरते कब ये आपकी कम्प्यूटर स्क्रीन पर
या मोबाइल के इनबॉक्स में प्रकट हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि इस यंत्र का खुशनुमा चेहरा या दुखी
चेहरा अपनी कहानी सुना जाए ...या फिर दे जाए आपके चेहरे पर एक मुस्कान सुबह-सुबह ... स्माइली की दुनिया अनोखी है भावनाओं के समंदर से निकले हर मोती की अपनी अलग ही आभा है जहां शब्द खो जाते हैं दुख के भंवर में वहां :-C आपकी भावनाओं को ये कह जाता है कुछ इस तरह से इसका व्याकरण नई पीढ़ी को तो खूब भाता है और वो इनके अर्थों से बखूबी वाकिफ़ भी हैं क्योकि रफ्तार और तेजी की अभ्यस्त युवा पीढ़ी को स्माइली में समय की बचत दिखाई देती है सच भी है तो आइए हम भी चलते हैं जहां चेहरा एक ही है पर उसके भाव अनेक हैं ....
:-) .......... खुश
:-D ............बेहद खुश
:-( ............. उदास
:-C ............. बेहद उदास
:-P ............. जीभ चिढ़ाना
l-O ............. जम्हाई
:-/ ............. शक्की
l:-( ............. नाराज
8-O ............. स्तब्ध
<:-l ............. मूर्ख
%-( ............. हक्का-बक्का