तुम्हारी मुस्कराहटों पर,
अक़्सर मैं दूसरों की
खुशियाँ देखती हूँ जब
तो सोचती हूँ
ऐसा करना बस
तुम्हारे लिये ही संभव था,
कहा था तुमने
असंभव शब्द
सिर्फ डिक्शनरी में होता है
हक़ीकत में तो हम
लड़ना जानते हैं
एक कोशिश करते हुये
जिंदगी को पराज़य से
कोसों दूर कर
जीत की सीढि़यों पर
बस चढ़ना औ’ चढ़ना जानते हैं
...
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
विजय उसी की होती है जो हिम्मत से आगे बढ़ता है..सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंदूसरों को खुशी देने में बहुत खुशी है।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर
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सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 22 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाहः
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन
आशा की डोर थामे हौसले की उड़ान।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना ,,,
सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंpyaari rchnaa ke liye bdhaayi...
जवाब देंहटाएंsundr prstuti
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंGreat work RAJASTHAN GK
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी कविता को पढ़ने में कितनी साल लगा दिए मैंने । बहुत प्रेरणादायी है यह । बहुत उत्साहवर्धक है यह । जैसे दिल से लिखी गई हो किसी के लिए ।
जवाब देंहटाएंbhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....
हमने पढ़ा......
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें.....
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना.......
दिनांक 25/08/2021 को.....
पांच लिंकों का आनंद पर.....
लिंक की जा रही है......
आप भी इस चर्चा में......
सादर आमंतरित है.....
धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदूसरों की खुशियों में मुस्कराने वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन।