जब से हालात बदले हैं
हर पिता का मन
मां की सोच का समर्थन
करने लगा है
...
कभी हँस कर टाल दिया करता था
जो मन माँ की सोच को
तुम तो नाहक ही चिंता करती हो
वह अब बिटिया के जरा सी देरी पर
अन्दर बाहर होता है ....
शाम ढले जाने कितनी बार !!!
हर पिता का मन
मां की सोच का समर्थन
करने लगा है
...
कभी हँस कर टाल दिया करता था
जो मन माँ की सोच को
तुम तो नाहक ही चिंता करती हो
वह अब बिटिया के जरा सी देरी पर
अन्दर बाहर होता है ....
शाम ढले जाने कितनी बार !!!
कितना कुछ पल में बदल जाता है .
जवाब देंहटाएंइस सोच में बदलाव लाने की ज़रूरत है।
जवाब देंहटाएंघड़ी की टिक टिक हथौड़े सी चलती है ...
जवाब देंहटाएंसचमुच एक भय का मातमी वातावरण छा गया है..पर यह ज्यादा दिन नहीं रहेगा..यही आशा है
जवाब देंहटाएंसच में , मन तो डरा हुआ है ...
जवाब देंहटाएंएक दिल देहला देनेवाला सच ....!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने
जवाब देंहटाएंसच कभी हँस कर टाल दिया करता था
जवाब देंहटाएंजो मन माँ की सोच को
तुम तो नाहक ही चिंता करती हो
वह अब बिटिया के जरा सी देरी पर
अन्दर बाहर होता है ....
शाम ढले जाने कितनी बार !!!
एक सार्थक रचना । बधाई । सस्नेह
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