मैंने कई दफ़ा चाहा
उतार दूँ कर्ज तुम्हारी दुआओं का
इन दुआओं ने मुझे कई बार
मौत की आगोश में जाने से बचाया है
जिन्दगी को यह कर्ज भले ही मंजूर हो
पर सच कहूँ तो मेरी आत्मा
इस कर्ज से मुक्ति पाना चाहती है
...
तमन्नाओं का यूँ तो
कोई लेखा-जोखा नहीं रहता किसी के पास
पर जब तमन्ना जिन्दगी को जीने की होती है तो
बस यही ख्याल आता है
इस नश्वर जिन्दगी से इतना प्रेम किसलिए
इसका अंत एक न एक दिन तो होना निश्चित है
फिर ये भय कैसा
कभी सड़क पर चलते हुए
किसी अज्ञात वाहन की अनियंत्रित गति से
बाल-बाल बच जाने पर
ह्रदय की धड़कनों की रफ़्तार कई गुना तेज हो जाती
जिसे नियंत्रित करने के लिए
जहाँ हो जैसे हो बस ठहर जाओ दम भर के लिए :)
....
उतार दूँ कर्ज तुम्हारी दुआओं का
इन दुआओं ने मुझे कई बार
मौत की आगोश में जाने से बचाया है
जिन्दगी को यह कर्ज भले ही मंजूर हो
पर सच कहूँ तो मेरी आत्मा
इस कर्ज से मुक्ति पाना चाहती है
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तमन्नाओं का यूँ तो
कोई लेखा-जोखा नहीं रहता किसी के पास
पर जब तमन्ना जिन्दगी को जीने की होती है तो
बस यही ख्याल आता है
इस नश्वर जिन्दगी से इतना प्रेम किसलिए
इसका अंत एक न एक दिन तो होना निश्चित है
फिर ये भय कैसा
कभी सड़क पर चलते हुए
किसी अज्ञात वाहन की अनियंत्रित गति से
बाल-बाल बच जाने पर
ह्रदय की धड़कनों की रफ़्तार कई गुना तेज हो जाती
जिसे नियंत्रित करने के लिए
जहाँ हो जैसे हो बस ठहर जाओ दम भर के लिए :)
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पढ़ते-पढ़ते ठहर ही तो गए यहाँ...
जवाब देंहटाएंकुँवर जी,
बहुत ही सहज एहसास
जवाब देंहटाएंसदा जी बहुत सुन्दर ...जिन्दगी कभी कभी ऐसे मोड़ पर ला के अपना फलसफा समझा देती है ठहरा देती है सुइयां ....
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
कर्ज उतर ही जाये तो अच्छा है!
जवाब देंहटाएंउधार प्रेम की कैंची भी तो कहलाती है !!
बहुत गहरे अहसास..सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंजाने किसकी दुआओं से मिलती ज़िंदगी, कैसे क़र्ज़ चुकता हो पल पल जिए का? सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंye karj kahan utar pata hai...
जवाब देंहटाएंसच बहुत मुश्किल है दुआओं का कर्ज उतारना... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंअच्छि कविता है।
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