दु:खी होने के लिए
अब बड़ी घटनाओं की
जरूरत नहीं रही मन को
वो यूँ ही कभी भी
हो जाता है अनमना
सब कुछ सही होते हुए
जब भी
नासमझी के लक्षण दिमाग में
उथल-पुथल कर देते
वक़्त-बेवक़्त
जब भी इसकी-उसकी परव़ाह की
बात होती
मन उदास हो जाता
अब मन उदास हो तो भला
चेहरे पे मुस्कान :)
कैसे आएगी
लक़ीर के फ़क़ीर बनोगे जब
तो सब कुछ
एक दाय़रे में सिमटकर
रह जाएगा फि़र
आज कौन किसकी परव़ाह करता है
सब अपने लिए जीते हैं
अपनी मैं को सर्वोपरि मानते हैं
खुद की खुशियाँ
खुद के सपने वो दिन गए
जब बेग़ानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
हुआ करता था ...
ये ऐसी कड़वी बातें क्यूँ ?
अब बड़ी घटनाओं की
जरूरत नहीं रही मन को
वो यूँ ही कभी भी
हो जाता है अनमना
सब कुछ सही होते हुए
जब भी
नासमझी के लक्षण दिमाग में
उथल-पुथल कर देते
वक़्त-बेवक़्त
जब भी इसकी-उसकी परव़ाह की
बात होती
मन उदास हो जाता
अब मन उदास हो तो भला
चेहरे पे मुस्कान :)
कैसे आएगी
लक़ीर के फ़क़ीर बनोगे जब
तो सब कुछ
एक दाय़रे में सिमटकर
रह जाएगा फि़र
आज कौन किसकी परव़ाह करता है
सब अपने लिए जीते हैं
अपनी मैं को सर्वोपरि मानते हैं
खुद की खुशियाँ
खुद के सपने वो दिन गए
जब बेग़ानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
हुआ करता था ...
ये ऐसी कड़वी बातें क्यूँ ?
नीम का दातुन किया था न
अभी तक उसका
कसैलापन गया नहीं
अभी तक उसका
कसैलापन गया नहीं
या फिर सबकुछ कसैला हो गया है
शायद इसीलिए....!!!
सब का मैं सर्वोपरि हो गया है ... नीम की दातुन से मुंह भले ही कसैला हो गया हो दाँत तो चमक रहे हैं न ॥तो खिलखिलाइए :):)
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंबड़ी बड़ी घटनाये इतनी हुईं कि छोटी लगने लगी ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
ghatnaa chhotee ho yaa badee
जवाब देंहटाएंman ko kyaa matlab
use to bas rone kaa bahaanaa chhaiye
आज कौन किसकी परव़ाह करता है
जवाब देंहटाएंसब अपने लिए जीते हैं
अपनी मैं को सर्वोपरि मानते हैं
खुद की खुशियाँ
SADA JI APKI YAH RACHANA GAMBHIR CHINTAN KE LIYE VIVASH KARTI HUI HAI ...SADAR BADHAI SWEEKAREN
अभी तक उसका
जवाब देंहटाएंकसैलापन गया नहीं
या फिर सबकुछ कसैला हो गया है
शायद इसीलिए....!!!
प्रभावशाली प्रेरक रचना कुछ नया सीखने को मिला..
sundar panktiyan
जवाब देंहटाएंये ऐसी कड़वी बातें क्यूँ ?
जवाब देंहटाएंनीम का दातुन किया था न
अभी तक उसका
कसैलापन गया नहीं
या फिर सबकुछ कसैला हो गया है
शायद इसीलिए....!!!
sundar bhaav, ant to laazwaab....
बहुत सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंजीभ के कसैलेपन को जाने दें...
चलिए मन की मिठास खोजते हैं.....
सस्नेह..
बहुत सुन्दर अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंआज कौन किसकी परव़ाह करता है
जवाब देंहटाएंसब अपने लिए जीते हैं
अपनी मैं को सर्वोपरि मानते हैं
खुद की खुशियाँ
....आज का परम सत्य..बहुत भावपूर्ण रचना...
bahut badhiya abhivyakti.
जवाब देंहटाएंआज 21/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
अभी तक उसका कसैलापन गया नहीं
जवाब देंहटाएंया फिर सबकुछ कसैला हो गया है!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
सादर
अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंवाकई अब दुखी होने के लिए बड़ी खबर का इंतजार नहीं.. हर दिशा से दुख देने वाली खबरें ही तो आ रही हैं। शानदार प्रस्तुति।
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