(१)
लम्हा-लम्हा तेरे बिन
तुझको जीना
जाने कैसे जी लेता हूं
मुझको लगता है चुप हूं
फिर भी हर बात तुझसे जाने
कैसे कह लेता हूं मैं ......
(२)
मुहब्बत में
कसमें न खाई हमने
ना किया
वादा कोई भी कभी
फिर भी जाने
क्यूं लोग तेरे मेरे प्यार की
दुहाई देते हैं .....।
bahut hi kam shabd aur atyadhik gahanta
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत खूब ...दोनों ही रचनाएँ गहन
जवाब देंहटाएंगहरी भावनाए प्रस्तुत करती रचनाये....बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
सशक्त अभिव्यक्ति भावनाओं की...
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