शनिवार, 3 दिसंबर 2011

स्‍माइली की भाषा :)



हर पीढ़ी अपनी भाषा गढ़ती है, अपनी बातों को अपनी भावनाओं को व्‍यक्‍त करने के लिए हर पी‍ढ़ी ने नये-नये तरीके ईज़ाद किए, कभी कबूतर तो कभी कोई खा़दिम जरिया होता था इनके संदेशों के आदान-प्रदान का फिर पोस्‍टकार्ड व अंतर्देशीय में रूचि बढ़ी इनके साथ-साथ भाये ग्रीटिंग कार्ड व ई-कार्डस भी, लेकिन परिवर्तन की बयार अभी थमी नहीं है क्‍योंकि आ चुके हैं आज की युवा पीढ़ी के स्‍माइली :) इनका परिचय आप सभी से हो ही चुका होगा देर-सेवर ही सही समझा हो आपने लेकिन एक सहज़ मुस्‍कान बिखेरते कब ये आपकी कम्‍प्‍यूटर स्‍क्रीन पर  या मोबाइल के इनबॉक्‍स में प्रकट हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता क्‍योंकि इस यंत्र का खुशनुमा चेहरा या दुखी  चेहरा अपनी कहानी सुना जाए ...या फिर दे जाए आपके चेहरे पर एक मुस्‍कान सुब‍ह-सुबह ... स्‍माइली की दुनिया अनोखी है भावनाओं के समंदर से निकले हर मोती की अपनी अलग ही आभा है जहां शब्‍द खो जाते हैं दुख के भंवर में वहां :-C आपकी भावनाओं को ये कह जाता है कुछ इस तरह से इसका व्‍याकरण नई पीढ़ी को तो खूब भाता है और वो इनके अर्थों से बखूबी वाकिफ़ भी हैं क्‍योकि रफ्तार और तेजी की अभ्‍यस्‍त युवा पी‍ढ़ी को स्‍माइली में समय की बचत दिखाई देती है सच भी है तो आइए हम भी चलते हैं जहां चेहरा एक ही है पर उसके भाव अनेक हैं ....

:-) ..........
खुश
:-D ............
बेहद खुश
:-( .............
उदास
:-C .............
बेहद उदास
:-P .............
जीभ चिढ़ाना
l-O .............
जम्‍हाई
:-/ .............
शक्‍की
l:-( .............
नाराज
8-O .............
स्‍तब्‍ध
<:-l .............
मूर्ख
%-( .............
हक्‍का-बक्‍का

शनिवार, 26 नवंबर 2011

ये खजाना तो ....!!!





















उसकी आंखो से दर्द
बयां होता था
पर फिर भी जाने कैसे
लबों पे उसके
तबस्‍सुम खेला करती
मैं हैरां होती
उसकी संजीदगी पे
वो मुझको समझाकर कहती
देख हंसी सब बांट लेते हैं
आंसू बांटना जरा
मुश्किल होता है
तूने सुना है न
ये कीमती होते हैं
फिर इसे कैसे बांटेगा कोई
ये खजाना तो बस
चुपचाप चोरी छिपे ही
लुटाना होता है  ....!!!

बुधवार, 9 नवंबर 2011

कैसे गया होगा ... !!!














कोई पलकों में
जाते-जाते भी
लम्‍हा बन
ठहर गया होगा
अश्‍कों की
नमी के बीच
वहम पाला
उसने खुशी का
बता भला
अपनों से दूर
वो हंसकर
कैसे गया होगा  ... !!!

शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

मौन होकर भी ....











खामोशी के साये
मुझे चारों ओर से
घेर लेते हैं जब
तो मेरी नजरें
तुम्‍हें खोजती हैं
मेरा मौन
तुम्‍हें पुकारता है
मेरा अन्‍तर्मन
रूदन करता है
उसकी सिसकियां
मुझे द्रवित करती हैं
तब लगता है
मैं तुम्‍हारा नाम लेकर
तुम्‍हें आवाज दूं
मेरी उस आवाज से
तुम्‍हें यकीन हो जाए
मेरी तड़प का
जो मौन होकर भी
बहुत कुछ कहती है .... !!!!

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

बिखर जाता दर्द ...











दर्द को छूकर
वह सहलाती जब भी
कोरों से बहते आंसू
वह हथेली में
समेट लेती जब
बिखर जाता दर्द
उसके आंचल में
सिमटने के लिए
वह एक खोखली हंसी
ले आती लबों पर
कहती क्‍यूं
इतना स्‍नेह मुझसे
जो मेरा दामन
छोड़ा नहीं जाता
मेरे धैर्य की
कितनी परीक्षा
लेनी है तुम्‍हें ....
अचानक एक टीस सी उठती
लगता सब कुछ खत्‍म
फिर वह संयत कर खुद को
कह उठती
अच्‍छा चलो मैं अब
तुम्‍हारे संग चलूंगी
तुम्‍हारे साथ
जीवन के नये रंग
गीतों में उतारूंगी
कुछ तुम्‍हारी बातें होंगी
कुछ मेरे अनुभव
तुम्‍हें अपने अंतस में
छुपा लेने के ...!!!

शनिवार, 27 अगस्त 2011

पूरी हथेली ... !!!!












(1)
अक्षर जैसे एक अकेली उंगली
शब् जैसे कोई
पूरी हथेली ... !
शब् का अर्थ
वज़न अपनी बात का .... !!
पंक्ति हो जाती यूं
जैसे धरती पे साया आकाश का ......!!!!

(2)
कितना भी
तन तेरा दुर्बल हो,
जीते जी
मन की हार नहीं होने देना,
दुर्गम हो पथ कितना भी
आगे बढ़ना ...
मन को
थकन का भार नहीं होने देना ....

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

आज भी कैद हैं ...!!!








मुल्‍क को आजाद हुये

बरसों बीत गये

पर हम अपने मन

से आज भी कैद हैं ...!

कभी सरहद के

रस्‍ते

कभी मन में

पनपती बदले की भावना....!!

दुश्‍मनी निभानी हो तो

भूल जाओ तुम

दिल से

प्‍यार रिश्‍ते और

अहसासों को ....!!!