टूटी खाट पर
जब भी मां
मैं तेरा बिस्तर लगाता हूं
मेरी पीठ
दर्द से दुहरी हो जाती है ।
मैं समेटता हूं
सपनों को बन्द करके आंखों को
जब भी
गरम आंसुओं की
कुछ बूंदे
तेरा दामन भिगो जाती हैं ।
एक सिहरन पूरे शरीर में होती है,
जब तेरी झुकी कमर
टेककर लाठी
मेरे लिये खेतों पे रोटी लाती है ।
बहुत मार्मिक प्रस्तुति...आज के समय में इतना प्यार करनेवाला बेटा होना बहुत सौभाग्य की बात है...मन को अंदर तक छू जाती है बेटे की विवशता..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंbahut marmik post ..
जवाब देंहटाएंmaaa to maaaa hoti hai.
भावुक कर देने वाली प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंक्या दर्द समेटकर ले आई है आपकी ये रचना !!हमें भी दर्द दे गई। और कुछ आँसु आँखों में भी छोड गई।
जवाब देंहटाएंma ke haath ki roti,
जवाब देंहटाएंkha kar ho jata man tript,
andhera chhant jata hai tab ,
jab dikkhe man ka chehra deept.
aapke sundar ehsaas prashansneey hain.Achhi bat hai ki jo aap mahsus kar rahi use kam shabdon me itni praveenta ke sath aapne bayan kiya hai.
likhte rahiye.
सदा जी आपका चित्र कहाँ मिलेगा । ब्लागर परिचय
जवाब देंहटाएंके लिये । राजीव ब्लाग वर्ल्ड काम ।
बस आँखें नम हो गयी। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंmaa ko khat ke dwara yaad karna bha gaya...aankhe nam ho gayee!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना है
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति भावमयी पंक्तियाँ दिल को छू गयीं
आपको बहुत शुभ कामनाएं
Marmik Prastuti k liye hardik badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संवेदनशील कविता !
जवाब देंहटाएंसाधन पुत्र साध्य है माता।
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur hridaysparshi rachna hai !
जवाब देंहटाएंaankh bhar aai ,maa hoti hi aesi hai .sundar rachna .
जवाब देंहटाएंmaa maa hoti hai.....ek sachchai bayan kar di aapne...
जवाब देंहटाएंसच , अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअभिवादन.