दर्द की भाषा कभी पढ़ी तो नहीं मैने
बस सही है हर बार
एक नये रंग में
उसी से यह जाना है
ये दर्द जब भी होता है
किसी अपने को तो
कई बार हमारी आंखों से भी
बह निकलता है
इसकी पीड़ा से जब व्याकुल होता है
हमारा ही कोई स्नेही तो हम भी
दर्द की अनुभूति करते हैं
मन ही मन उसका पैमाना तय करते हैं
...
लेकिन यह भी सच है
अपने हिस्से का दर्द हमेशा
खुद को ही सहना होता है
तभी तो हर मन में होता है
एक बांध सब्र का
जिसमें होते हैं कुछ हौसले
कुछ उम्मीदें कुछ समझौते
जिन्हें मजबूती देता है विश्वास
जिससे बुलंद होता है
हर एक अहसास
...
बस सही है हर बार
एक नये रंग में
उसी से यह जाना है
ये दर्द जब भी होता है
किसी अपने को तो
कई बार हमारी आंखों से भी
बह निकलता है
इसकी पीड़ा से जब व्याकुल होता है
हमारा ही कोई स्नेही तो हम भी
दर्द की अनुभूति करते हैं
मन ही मन उसका पैमाना तय करते हैं
...
लेकिन यह भी सच है
अपने हिस्से का दर्द हमेशा
खुद को ही सहना होता है
तभी तो हर मन में होता है
एक बांध सब्र का
जिसमें होते हैं कुछ हौसले
कुछ उम्मीदें कुछ समझौते
जिन्हें मजबूती देता है विश्वास
जिससे बुलंद होता है
हर एक अहसास
...
होय पेट में रेचना, चना काबुली खाय ।
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना देख के, चर्चा मंच चुराय ।
दर्द जब गहरा हो,तो आँखों की नदी भी सूख जाती है
जवाब देंहटाएंदर्द जब गहरा हो,तो आँखों की नदी भी सूख जाती है
जवाब देंहटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयह सही है कि अपना दर्द स्वयं को ही सहना पड़ता है , मगर कई बार ऐसा होता है कि संवेदनशील व्यक्ति उस दर्द से गुजारने वाले से ज्यादा दुखी होता है ...बहुत कुछ अपनी संवेदनाओं पर भी निर्भर है !
जवाब देंहटाएंदर्द और सोच की गहन अभिव्यक्ति !
सही है....हर दर्द स्वयं झेलना होता है....मगर कभी-कभी भावनाओं का संबल मिलता है तो दर्द कुछ हल्का महसूस होता है..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंआज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
हर एक के मन में दर्द का एक बांध भी होता है .... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसबके हिस्से के दर्द सबको खुद सहने पडते हैं …………सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए बहुत खूब रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
sabke hote hue bhi jab apna dard khud hi sahna padta hai to ankhen nam hue bina nahi rah pati.
जवाब देंहटाएंतभी तो हर मन में होता है
जवाब देंहटाएंएक बांध सब्र का
जिसमें होते हैं कुछ हौसले
कुछ उम्मीदें कुछ समझौते
जिन्हें मजबूती देता है विश्वास
जिससे बुलंद होता है
हर एक अहसास
bahut khub kaha apne
जब आँखों की नदी सूखती है तो परिवर्तन का दौर शुरू हो जाता हैं .....
जवाब देंहटाएंवाह,क्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ब्लाग पर आना हुआ। पहले की ही तरह आपकी रचनाएं बेहतरीन हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंbhawon ka sunder mishran......
जवाब देंहटाएंअपने हिस्से का दर्द हमेशा
जवाब देंहटाएंखुद को ही सहना होता है
....sahi bat....
दर्द हद से गुज़र जाये तो मुस्कान बन जाता है
जवाब देंहटाएंअच्छा खासा बावला भी इंसान बन जाता है
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page