कुछ असभ्य चेहरों ने
लगा लिया है नक़ाब सभ्यता का
हर चेहरे पर है चेहरा
कई रूपों में मिलता है यह नक़ाब
कुछ की कीमत चुकानी होती है
कुछ को छीन लिया जाता है
कुछ विरासत में पा लेते हैं
...
क़ायदा पढ़ने की चीज़ नहीं होती
सिखाने की भी नहीं होती
क़ायदा जब मन कहता है तभी
बस करने को जी चाहता है किसी का
...
बदलना यूँ तो आसान नहीं होता,
कुछ बदलाव हालात करा देते हैं
कुछ करते हैं समझौता खुद से
पर कुछ की फितरत होती है
बदल जाने की ...
...
लगा लिया है नक़ाब सभ्यता का
हर चेहरे पर है चेहरा
कई रूपों में मिलता है यह नक़ाब
कुछ की कीमत चुकानी होती है
कुछ को छीन लिया जाता है
कुछ विरासत में पा लेते हैं
...
क़ायदा पढ़ने की चीज़ नहीं होती
सिखाने की भी नहीं होती
क़ायदा जब मन कहता है तभी
बस करने को जी चाहता है किसी का
...
बदलना यूँ तो आसान नहीं होता,
कुछ बदलाव हालात करा देते हैं
कुछ करते हैं समझौता खुद से
पर कुछ की फितरत होती है
बदल जाने की ...
...
तीनों क्षणिकाएं गहन बात कहती हुई
जवाब देंहटाएंबदलना यूँ तो आसान नहीं होता,
जवाब देंहटाएंकुछ बदलाव हालात करा देते हैं
कुछ करते हैं समझौता खुद से
पर कुछ की फितरत होती है
बदल जाने की ... यही सार है
तीनों क्षणिकाएँ गहन सोच लिए हुए है. बदलना, देखना, समझौता, दृष्टिकोण, सोच, समझ आदि जीवन की परिभाषा और दशा तय करते हैं. बधाई.
जवाब देंहटाएंकुछ असभ्य चेहरों ने
जवाब देंहटाएंलगा लिया है नक़ाब सभ्यता का
हर चेहरे पर है चेहरा
कई रूपों में मिलता है यह नक़ाब
कुछ की कीमत चुकानी होती है
कुछ को छीन लिया जाता है
कुछ विरासत में पा लेते हैं
....आज का कटु सत्य...सभी क्षणिकाएं गहन जीवन दर्शाती और बहुत सार्थक...बधाई
सही कहा आपने कायदा सीखने की जरुरत नहीं होती और परिस्थितियाँ बदलने को मजबूर कर देती हैं ...
जवाब देंहटाएंतीनो क्षणिकाएं सुंदर !
बदलना यूँ तो आसान नहीं होता,
जवाब देंहटाएंकुछ बदलाव हालात करा देते हैं
कुछ करते हैं समझौता खुद से
पर कुछ की फितरत होती है
बदल जाने की ... बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
यह संक्रमण हर युग की दास्तान है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया
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वाह, सुन्दर कविता
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