वक्त को उसने बांधने की कोशिश की
कैसे ठहरता वो चलायमान
वो चला उसके साथ कभी भागा भी
छूट गया यूं ही एक दिन
रिश्तों के संग रिश्तों का
वो नाजुक धागा भी
कितना फकीर है वो जिसके पास
दौलत के खजाने भरपूर हैं
पर वक्त नहीं उसके पास
सुकून से खाने का
मजबूर है घड़ी की सुइयों के संग
अलसाई आंखों से जागने को
गंवाया उसने हर क्षण
जाने कितने सुखद अहसासों को
हेरफेर में रहा हर पल उसका
कैसे-कैसे बीच कयासों के .....!!!
वक्त कब बंधा है ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकितना फकीर है वो जिसके पास
जवाब देंहटाएंदौलत के खजाने भरपूर हैं
पर वक्त नहीं उसके पास
सुकून से खाने का
बहुत सही कहा आपने यह विरोधाभास आज की मूल प्रवृत्ति हो गई है...बहुत सुन्दर लिखा
kuch nahin bandhta...
जवाब देंहटाएंउत्तम भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंवक्त को उसने बांधने की कोशिश की
जवाब देंहटाएंकैसे ठहरता वो चलायमान
वो चला उसके साथ कभी भागा भी
छूट गया यूं ही एक दिन
.........हर शब्द बोलता हुआ मन को छूते भाव ...बहुत खूब |
bahut sunder bhav ,sarthak rachna
जवाब देंहटाएंये वक्त ही न जाने कैसे-कैसे खेल दिखाता इतना उलझा देता है कि बाकी सब के चक्कर में बस वक्त ही नहीं बच पाता ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
जवाब देंहटाएंdil ko choote huye bhaav.shubhakamanayen.
जवाब देंहटाएंnice poem
जवाब देंहटाएंअद्भुत...
जवाब देंहटाएंदिल की गहराईयों को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
वक्त को उसने बांधने की कोशिश की
जवाब देंहटाएंकैसे ठहरता वो चलायमान
वो चला उसके साथ कभी भागा भी
छूट गया यूं ही एक दिन
खूबसूरत अभिव्यक्ति
so nice post
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
कितना फकीर है वो जिसके पास
जवाब देंहटाएंदौलत के खजाने भरपूर हैं
पर वक्त नहीं उसके पास
सुकून से खाने का.....
..
kitni sahajta se kitnee gahri baat kah gaye aap!
waah !!
बहुत ही बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसस्नेह.
कितना फकीर है वो जिसके पास
जवाब देंहटाएंदौलत के खजाने भरपूर हैं
पर वक्त नहीं उसके पास
सुकून से खाने का
कितना महत्वपूर्ण सच छिपा है इन पंक्तियों में ! सच में आज वही सबसे गरीब है जिसने सिर्फ धन-दौलत कमाने के फेर में जीवन की हर खुशी को हाथों से फिसल जाने दिया है ! खूबसूरत अहसासों से सजी बहुत ही खूबसूरत रचना ! बधाई स्वीकार करें !
वक्त पर किसका वश चला है.सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंsundar shabd rachna,,
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