शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

वक्‍त की चाल .....


मुहब्‍बत की गलियों में तो

सड़के बेवफाई की ज्‍यादा हैं ।

समझे कैसे वक्‍त की चाल,

बशर तो बस एक प्‍यादा है ।

लगाये फिरते इक मुखौटा,

गहरी चोट का जो इरादा है ।

तन जो मन से जुदा हुआ,

फिर इक लिबास सादा है ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. तन जो मन से जुदा हुआ,
    फिर इक लिबास सादा है.

    बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. भावनाओं की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....आभार..

    जवाब देंहटाएं
  3. मुहब्‍बत की गलियों में तो

    सड़के बेवफाई की ज्‍यादा हैं ।

    समझे कैसे वक्‍त की चाल,

    बशर तो बस एक प्‍यादा है ।

    लगाये फिरते इक मुखौटा,...

    Beautiful expression !

    .

    जवाब देंहटाएं