सोमवार, 29 जून 2009

जादू लता जी का कायम है आज भी . . .


हम सबने लता जी को तो बहुत बार सुना, उनकी आवाज का जादू आज भी पूर्ववत कायम है, आज आपके सामने प्रस्‍तुत हैं उन पर लिखी गई पुस्‍तक के कुछ अंश जिसमें मिलेंगे लता जी की जिन्‍दगी के अनछुए पहलू . . . बात 1949 की है जब फिल्‍म महल का गीत आयेगा आने वाला हर तरफ धूम मचाये हुये था। रेडियो पर हर फरमाइश के बाद श्रोता उस गायिका के नाम से परिचित होना चाहते थे,जिसकी आवाज ने यह करिश्‍मा कर दिखाया था, आखिर एच.एम.वी. ने गायिका के नाम की घोषणा की और यह थीं लता मंगेशकर, आज लता जी 80 वर्ष की है, लेकिन उनकी आवाज आज भी 20 साल की उम्र पर ठहरी हुई है।

लंदन निवासी प्रसिद्ध वृत्‍तचित्र निर्देशिका नसरीन मुन्‍नी कबीर ने चैनल 4 के लिये लता जी के जीवन पर 6 भागों का एक वृत्त चित्र बनाया था। इन्‍हीं साक्षात्‍कारों के आधार पर लिखित अंग्रेजी पुस्‍तक लता मंगेशकर ...इन हर ओन वॉयस 15 मई 2009 को पाठकों के सामने आई है। प्रस्‍तुत हैं इस पुस्‍तक के कुछ अनुवादित अंश, जो खोलते हैं स्‍वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के जीवन के कुछ पन्‍नों को

नसरीन मुन्‍नी कबीर : मुझे मालूम पड़ा था कि जब आपने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाया था, तब पंडित नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे। यह कब हुआ था

लता जी : यह गीत भारत पर चीन के 1962 के आक्रमण के बाद प्रदीप जी ने लिखा था, सी. रामचन्‍द्र ने इसे स्‍वरबद्ध किया था। इसे सबसे पहले गणतंत्र दिवस पर दिल्‍ली में 26 जनवरी 1963 को गाया गया था। वहां पर फिल्‍म इंडस्‍ट्री से जुड़े कई दिग्‍गज दिलीप कुमार, महबूब, राजकपूर नौशाद, शंकर जयकिशन, मदन मोहन आदि भी उपस्थित थे। मैं गीत खत्‍म करके मंच के पीछे कॉफी पीने गई, तभी महबूब साहब भागते हुये आये और आवाज दी, लता, लता कहां हो ? पंडित जी तुमसे मिलना चाहते हैं। मैं उनके साथ पंडित जी के पास गई और महबूब साहब ने मेरा परिचय कराते हुये, कहा, पंडित जी यह लता है । पंडित जी बोले, बेटा तुमने तो आज मुझे रूला दिया। मैं घर जा रहा हूं। तुम भी साथ चलो, हमारे यहां एक कप चाय पीने के लिए ।

हम सब तीन मूर्ति भवन गये, जो तब प्रधानमंत्री का निवास हुआ करता था। मैं कुछ शर्मीले स्‍वभाव की हूं, इसलिए भीड़ से अलग कोने में खड़ी थी, तभी इन्दिरा जी वहां आईं और बोलीं, अरे आप यहां है। मैं आपको आपके दो बड़े प्रशंसकों से मिलवाना चाहती हूं। ये प्रशंसक थे राजीव और संजय। ठीक इसी समय पंडित जी की आवाज आयी अरे वो गायिका कहां हैं ?’ मैं कमरा पार करके उनके पास गई तो वे बोले क्‍या तुम वह गीत एक बार फिर गाओगी ? मैने नम्रतापूर्वक कहा, अभी नहीं ।

नसरीन मुन्‍नी कबीर : क्‍या आपकी उनसे दोबारा मुलाकात हुई ?

पुस्‍तक का नाम : लता मंगेशकर . . . इन हर ओन वॉयस, कनवर्सेशन विद नसरीन मुन्‍नी कबीर प्रकाशक : नियोगी बुक्‍स

क्रमश:

शुक्रवार, 26 जून 2009

नकली नोटों से सावधानी ऐसे बरतें . . .


वैसे तो इन दिनों नकली नोटों से सावधानी बरतने के सम्‍बंध में कहा ही जा रहा है, खासतौर पर यदि यह नोट 1000 और 500 के हों तो ध्‍यान देना भी चाहिए, फिर भी छोटी-छोटी बारीकियां जिन पर यदि थोड़ा ध्‍यान दे दिया जाये तो, होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है, ऐसी ही जानकारी आप सबके सामने है जो कि एक समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई थी।

गुरुवार, 25 जून 2009

हृदय रोगियों के लिये वरदान बना यह हास्पिटल

अभी पिछले दिनों ही पढ़ने में आया कि ऐसा भी हास्पिटल है जहां हृदय रोगियों का नि:शुल्‍क इलाज किया जाता है, तो सोचा इसे आपके समक्ष प्रस्‍तुत करूं हो सकता है कि इसका लाभ किसी ऐसे व्‍यक्ति को मिले जिसे कि वास्‍तव में इसकी जरूरत हो, तो इस संस्‍थान के बारे में संक्षिप्‍त जानकारी :

हृदय रोगों से पीडि़त व्‍यक्तियों के लिये बेंगलुरू के व्‍हाइटफील्‍ड इलाके में स्थित श्री सत्‍य साईं इंस्‍टीट्यूट आफ हायर मेडिकल साइंस हास्पिटल किसी मंदिर से कम साबित नहीं हो रहा है । यहां आने वाले सभी हृदय रोगियों का इलाज नि:शुल्‍क किया जाता है।

जीं हां, बिल्‍कुल सही बात है यह यहां न केवल हृदय की सभी बीमारियों का इलाज नि:शुल्‍क होता है, बल्कि हास्पिटल में उच्‍च स्‍तर की सभी चिकित्‍सकीय सुविधाएं मुहैय्या कराई जाती हैं । यहां आने वालों का इलाज मानवता के लिये किया जाता है, न कि धर्म, जाति या आर्थिक स्थिति को आधार मानकर, इस सन्‍दर्भ में अपील आफ द पीस प्राइज लॉरेट्स फांउडेशन के चेयरमैन डा. माइकल नोबेल कहते हैं, ‘’मैने धरती पर ऐसा पहले कहीं नहीं देखा। यह पश्चिम देशों में स्थित राष्‍ट्रीय चिकित्‍सालयों से भी अद्भुत अनुभूति प्रदान करता हैा श्री साईं बाबा द्वारा बनवाया गया यह हास्पिटल तीन पहलुओं के कारण अधिक प्रभावशाली है : पहला स्‍टेट आफ आर्ट टेक्‍नोलाजी, दूसरा निशुल्‍क चिकित्‍सकीय सुविधा और तीसरा साईं बाबा की उपस्थिति जो रोगियों को चमत्‍कारिक रूप से अच्‍छा कर देती है।‘’

यह विश्‍व का पहला ऐसा हास्पिटल है, जो हृदय रोग की किसी भी बीमारी के इलाज के लिये पैसा नहीं लेता है। सबसे बड़ी बात यहां कोई बिलिंग काउंटर नहीं है।

बुधवार, 24 जून 2009

जवाब . . . कसरत दिमाग की ???

जवाब - अपराध आत्‍महत्‍या का था

कल मेरा आपसे सवाल था ??

एक अपराध हुआ है और एक जान गई है,
पुलिस को मरने वाले शख्‍स का नाम, पता
और अन्‍य जान‍कारियां हैं, इसके बावजूद
अपराध करने वाले पर कोई मुकदमा नहीं
चल सकता है, क्‍यों ?

मंगलवार, 23 जून 2009

कसरत दिमाग की

एक अपराध हुआ है और एक जान गई है,
पुलिस को मरने वाले शख्‍स का नाम, पता
और अन्‍य जान‍कारियां हैं, इसके बावजूद
अपराध करने वाले पर कोई मुकदमा नहीं
चल सकता है, क्‍यों ?

मंगलवार, 16 जून 2009

ताज की सुन्‍दरता में उत्‍पन्‍न होते खतरे


भारत की शान ताजमहल जो कि विश्‍व के सात आश्‍चर्य में शामिल है जिसे एक नजर पास से देखने की चाहत भारत में रहने वाले ही नहीं विदेशियों के मन में भी बसी हुई है और वह इसे भारत आने पर देखने से नहीं चूकते, लेकिन इसकी शान में दाग लग रहा है इसके आस-पास का वातावरण इतना प्रदूषण युक्‍त हो जाता है चाहे वह तेल शोधक कारखाने के उठने वाले धुएं से हो या फिर शवदाह गृह के उठने वाले धुएं से ।

ताजमहल से लगभग सौ मीटर की दूरी पर ही दो-दो शवदाह गृह हैं, एक बिजली से चलने वाला है जबकि दूसरा पारम्‍परिक है, जिसमें लकड़ी से जलाकर अंतिम संस्‍कार किया जाता है, बिजली से चलने वाले शवदाह गृह का रखरखाव आगरा विकास प्राधिकरण के जिम्‍मेदारी में आता है, जबकि लकड़ी से शवों के अंतिम संस्‍कार जलाने का जिम्‍मा श्‍मशान घाट समिति के पास है ।

बिजली से चलने वाले शवदाह गृह की हालत इतनी खस्‍ता है जो कि ना होने के बराबर है, इसलिए यहां शवों को लकड़ी से ही जलाया जाता है, जिनके जलने पर उठने वाले धुएं, आग की लपटों और वायुमंडल में फैलने वाले इसके रसायनों से ताज महल की सुंदरता खत्‍म हो जाने की आशंका पैदा हो गई है । धुएं और आग से ताज को होने वाली क्षति से बचाने के लिये ही विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कराया गया था, जो कि अब काफी लम्‍बे अर्से से खराब चल रहा है।

यदि आगरा विकास प्राधिकरण इसके लिये समय रहते सजग नहीं होगा तो ताज की सुन्‍दरता को कायम रखना मुश्किल होगा, उसे इस बात का भी ध्‍यान रखना चाहिए की ताजमहल के कारण ही आगरा का पर्यटन नगरी बनना संभव हो पाया, और यदि उस ताज की ही उपेक्षा की जाएगी, या उसके रखरखाव में ही पैसों का अभाव बताया जाएगा तो फिर ताज को सुरक्षित कैसे रखा जा सकेगा ।

ताजमहल की सुन्‍दरता के बचाव के लिये उत्‍तर प्रदेश सरकार और पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग को भी आगे आना चाहिए और इसके लिये सुरक्षात्‍मक प्रयासों में तेजी लानी चाहिए, ताकि ऐसे ऐतिहासिक स्‍मारकों को पूर्णतया सुरक्षा प्रदान की जा सके, आवश्‍यकता पड़ने पर जनसहयोग की भी मदद लेने से पीछे नहीं हटना चाहिये, ताकि यह धरोहर आने वाले समय में भी कायम रह सके, और इसकी सुन्‍दरता का बखान आगे भी यूं ही होता रहे।

मंगलवार, 9 जून 2009

चल दिया बिना कुछ कहे . . .

मृत्‍यु हमेशा इंसान के साथ-साथ रहती है, वह इंसान नहीं जानता की कब वह उसे अपनों से दूर कर देगी, कवि अक्‍सर अपनी कल्‍पनाओं में, या एक आम व्‍यक्ति जो लेखक नहीं भी होता वह भी उसका जिक्र कभी न कभी कर ही देता है, परन्‍तु यह जब आती है तो किसी को एक पल का मौका नहीं देती कुछ कहने सुनने का . . . और रह जाते हैं अधूरे ख्‍वाब . . . अधूरी बातें मन की मन में ही सदा-सदा के लिए . . . ।

मेरी कल्‍पना में जब भी तुम आई,

मृत्‍यु मैने उसे बताया लोगों को ।

तब मुझे तुम्‍हारा सिर्फ अहसास ही था,

जिसका विश्‍वास दिलाया मैने लोगों को ।

तुम आती हो तो तुम्‍हें कोई रोक नहीं पाता,

कविताओं में अपनी कई दफा बताया लोगों को ।

तालियां बजती थीं सब वाह वाह कहते थे सदा,

आज तुम मेरे साथ हो मैं बता ना पाया लोगों को ।

कितने भाव, कितने सपने मन में ही रह गये सब,

ये बातें दिल की अन्तिम समय बता न पाया लोगों को ।

तुम्‍हारी उंगली को थाम के, चल दिया बिना कुछ कहे,

मैं इस जहां से उस जहां के लिए बता न पाया लोगों को ।

सोमवार, 1 जून 2009

आवश्‍यक होता मोबाइल . . .


मिस काल . . .कुछ याद आया आपको . . . अरे भई आज हम मोबाइल युग में जी रहे हैं जहां अधिकांशत: लोग मोबाइल धारी या जिनके पास मोबाइल नहीं है वह इसे लेने के इच्‍छुक हैं जब से हम मोबाइल का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करने लगे हैं तभी से मिस काल का प्रयोग भी आम हो गया है ये काल दो दोस्‍तों के बीच भी हो सकती है, या फिर वह प्रेमी युगल हों अथवा पति-पत्‍नी अथवा बच्‍चे भी हो सकते हैं इस मिस काल के कई छुपे संदेश भी होते हैं जिन्‍हें आप अपनी सुविधानुसार समझ लेते हैं, जैसे की मैं फलां जगह पहुंच जाऊंगा तो मिस काल दूंगा, तुम घर से निकलना तो मिस काल कर देना मैं तुम्‍हें बाहर ही मिल जाऊंगा होने लगा है, मिस काल आने पर यह कहा जाता है कि मैने तुम्‍हे याद किया तो मिस काल किया . . . तो जिसके नम्‍बर पर यह मिस काल आता है वह भी वापस इसी तरह एक रिंग कर देता है जिसका अर्थ आसानी से यह भी लगाया जा सकता है कि मैं भी तुम्‍हें ही याद कर रहा हूं, या मैने तुम्‍हें याद किया ।

मिस काल की कहानी तो मजेदार है ही इससे भी ज्‍यादा आजकल एस.एम.एस. का चलन है उसमें भी गुदगुदाते चुटकले या फिर शायरी जिन्‍हें शायरी का शौक नहीं था उन्‍हें भी एस.एम.एस. के चलते शायरी करनी पड़ जाती है और समय व्‍यतीत करते हैं, इसके अलावा कई रियेलिटी शो भी इस एस.एम.एस. के लिये आम पब्लिक की जेबों से कितना पैसा निकलवा लेते हैं लोगों को पता ही नहीं चलता यदि आप इस गायक को विजेता बनाना है तो वोट करें, कई न्‍यूज चैनल भी सवाल-जवाब के चलते आपको एस.एम.एस. करने के लिये प्रेरित करते रहते हैं और चैनल वाले इसी तरह एक एस.एम.एस. की मांग करके करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं। इसके अलावा नववर्ष, हो या होली-दीवाली एस.एम.एस. करने के लिये होड़ सी लगी होती नये-नये संदेशों का इंतजार होता रहता है, और इसकी स्थिति इस कदर गंभीर हो जाती है कि नेटवर्क मिलना मुश्किल हो जाता है ।

मोबाइल के तो कहने ही क्‍या हैं यदि एक दिन भी आपका यह चहेता मोबाइल आप से दूर हो जाए तो आपको लगेगा, एक अधूरापन . . . जैसे आपकी कोई प्रिय चीज गुम जाती है . . .और यह मोबाइल आपको ना चाहते हुये भी इतना व्‍यस्‍त कर देता है कि आप कोई काम कर ही नहीं पाते, कई लोगों के लिये तो मोबाइल रखना सिरदर्द के समान है, यदि आफिस में समय अधिक हो गया तो पत्‍नी की रिंग आ जाती है . . . जैसे तैसे काम खतम करके घर पहुंचो तो खाने की टेबिल तक पहुंचते-पहुंचते बॉस की रिंग आ जाती है, ये काम रह गया था . . .सुबह थोड़ा जल्‍दी आ जाना . . . या फिर वक्‍त बेवक्‍त कोई सिरफिरा व्‍यक्ति जिससे आपकी दूर-दूर तक जान-पहचान नहीं होती उसका फोन आ जाएगा, ना पहचानने पर भी आपका वक्‍त खराब हो ही जाता है ऐसे समय में लगता है इससे बड़ी मुसीबत तो दूसरी कोई है ही नहीं . . . ।

किसी चीज के फायदे हैं तो नुकसान भी . . .पहले किसी को आना हो तो इंतजार रहता था कि कब पहुंचेंगे कोई निश्चित समय नहीं होता था, और ज्‍यादातर वक्‍त इंतजार में ही बीत जाता था, लेकिन अब तो इस सुविधा के चलते तुरन्‍त फोन करो और पता करो की आने में कितना समय है . . . उसी हिसाब से आगे का काम होगा . . . मोबाइल तो वर्तमान समय में हमारे लिये सर्वोपरि बन चुका है आखिर हो भी क्‍यों कर न संगीत का आनन्‍द भी, इंटरनेट के साथ साथ एक से बढ़कर एक गेम भी मिलेंगे आपको, और अपनों का सानिध्‍य भी . . .