उसकी आंखो से दर्द
बयां होता था
पर फिर भी जाने कैसे
लबों पे उसके
तबस्सुम खेला करती
मैं हैरां होती
उसकी संजीदगी पे
वो मुझको समझाकर कहती
देख हंसी सब बांट लेते हैं
आंसू बांटना जरा
मुश्किल होता है
तूने सुना है न
ये कीमती होते हैं
फिर इसे कैसे बांटेगा कोई
ये खजाना तो बस
चुपचाप चोरी छिपे ही
लुटाना होता है ....!!!
पर फिर भी जाने कैसे
लबों पे उसके
तबस्सुम खेला करती
मैं हैरां होती
उसकी संजीदगी पे
वो मुझको समझाकर कहती
देख हंसी सब बांट लेते हैं
आंसू बांटना जरा
मुश्किल होता है
तूने सुना है न
ये कीमती होते हैं
फिर इसे कैसे बांटेगा कोई
ये खजाना तो बस
चुपचाप चोरी छिपे ही
लुटाना होता है ....!!!
asli khazane ki pahchaan to asli hakdaar ke paas hi hoti hai
जवाब देंहटाएंइस खजाने को सबके सामने लुटाने लगें तो बस खारा पानी कहलाता है ... सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं में से एक ||
आभार ||
देख हंसी सब बांट लेते हैं
जवाब देंहटाएंआंसू बांटना जरा
मुश्किल होता है
....बहुत सच कहा है...सुंदर अभिव्यक्ति...
Namaskar ji..
जवाब देंहटाएंDukh bante hai halka hota...
Sukh bante badh jata hai..
Khushi khazane si rahti hai..
Jo bhi ese lutata hai..
Sundat bhav..
Pichhle kuchh samay se bahar tha, ab punah aaya hun..kavitaon ke ras main vibhor hone ke liye..
Deepak Shukla..
बहुत सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत ही नाजुक से भावों को बहुत ही सम्हाल कर रचा है.अति सुंदर.
जवाब देंहटाएंnice poem
जवाब देंहटाएंu r writting very well....didi
बहुत सुंदर लगी यह कविता. देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 01-12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज .उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे में
कान में फुसफुसा कर कही जाने वाली बात के अंदाज़ जैसी सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंसादर
ये खजाना तो बस
जवाब देंहटाएंचुपचाप चोरी छिपे ही
लुटाना होता है ....!!!
वाह एक एक पंक्ति मन को छूती हुई !!
बधाई हो सदा जी !
ओह गहरी और सच्ची बात कह दी.
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंसादर..
देख हंसी सब बांट लेते हैं
जवाब देंहटाएंआंसू बांटना जरा
मुश्किल होता है
बेहद खूब ...सादर
बेहतरीन सुन्दर भावो की अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंआँसू सचमुच बेशकीमती होते हैं इनका मोल दूसरे नहीं लगा सकते इसीलिये इन्हें छिपाना ही श्रेयस्कर है ! बहुत ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसदा जी जय श्री राधे ...बहुत सुन्दर ब्लॉग और रचना भी ..सच आंसू होते ही ऐसे हैं
जवाब देंहटाएंरहिमन निज मन की व्यथा मन ही रखो गोय
सुनी अंठीलैहैं लोग सब बांटी न लैहैं कोय
भ्रमर ५
Bahut sundar aur bilkul sach.
जवाब देंहटाएं