समाज का हर व्यक्ति जागरूक हो और समाज में फैली बुराईयों को जड़ से खत्म करने का संकल्प मन में हो तो कोई भी बाधा सामने नहीं आ सकती, एक बेहद अनुकरणीय उदाहण के रूप में सामने आई यह नई पहल उजागर हुई है हरियाणा से कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए ‘आंठवां फेरा’ हमारे समाज की पारंपरिक रचनात्मकता और विचारशीलता का अच्छा उदाहरण है । इस समस्या को प्राय: जागरूकता की कमी का नतीजा माना जाता रहा है और कानूनी कार्यवाई के जरिए हल करने की कोशिश की जाती रही है। विवाह के सात फेरों के साथ आंठवें फेरे के रूप में कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने की शपथ दिलाकर पहली बार इसे दांपत्य के रीति रिवाजों से जोड़ा गया है । इसे आने वाले समय में यदि व्यापक रूप से अपनाया जाये तो एक जघन्य बुराई से मुक्ति पाई जा सकती है, बेटे एवं बेटी का समान रूप से पालन पोषण किया जा सकता है ।
सोमवार, 7 सितंबर 2009
‘आंठवां फेरा’ .....
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हरियाणे को अक़्ल तो आई पर बड़ी देर से
जवाब देंहटाएंबस इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
अभी समाजिक नजरिये(बेटियो के प्रति) को बदलने की जरुरत है ......वैसे एक बहुत सुन्दर पोस्ट .....बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंफ़ेरे से कही ज्यादा दृढ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएंadbhut soch.......main abhibhoot ho gayaa....!!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही सोच है इसकी भी आज कल तो कोई सार्थकता नहीं रह गयी बाकी सात फेरों के बचन भी कौन निभाता है आजकल बस सोच बदलने की जरूर्त है आभार्
जवाब देंहटाएंबहुएं भी तभी मिलेंगी जब आज बेटियाँ बचाओगे...
जवाब देंहटाएंबहुत सही और अच्छी बात।
जवाब देंहटाएंसादर
bas ab is vachan ka log amal karen.....
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा अब बदलना ही होगा।
जवाब देंहटाएंएक सच सोच
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी राह... अनुकरणीय कदम...
जवाब देंहटाएंसादर...
एक को आई अक्ल अभी बहुत बाकी हैं.
जवाब देंहटाएंस्वागतेय.वातावरण तैयार करना जरुरी है.
जवाब देंहटाएंसभी राज्यों , जिलों और गावों के सभी जाती में,
जवाब देंहटाएंये "आठवां फेरा" क़ानूनी रूप से लागु करना चाहिए.... !
भाव पूर्ण आव्हान....उजाले की किरण है....सादर !!
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