सोमवार, 7 सितंबर 2009

‘आंठवां फेरा’ .....

समाज का हर व्‍यक्ति जागरूक हो और समाज में फैली बुराईयों को जड़ से खत्‍म करने का संकल्‍प मन में हो तो कोई भी बाधा सामने नहीं आ सकती, एक बेहद अनुकरणीय उदाहण के रूप में सामने आई यह नई पहल उजागर हुई है हरियाणा से कन्‍या भ्रूण हत्‍या रोकने के लिए आंठवां फेरा हमारे समाज की पारंपरिक रचनात्‍मकता और विचारशीलता का अच्‍छा उदाहरण है । इस समस्‍या को प्राय: जागरूकता की कमी का नतीजा माना जाता रहा है और कानूनी कार्यवाई के जरिए हल करने की कोशिश की जाती रही है। विवाह के सात फेरों के साथ आंठवें फेरे के रूप में कन्‍या भ्रूण हत्‍या नहीं करने की शपथ दिलाकर पहली बार इसे दांपत्‍य के रीति रिवाजों से जोड़ा गया है । इसे आने वाले समय में यदि व्‍यापक रूप से अपनाया जाये तो एक जघन्‍य बुराई से मुक्ति पाई जा सकती है, बेटे एवं बेटी का समान रूप से पालन पोषण किया जा सकता है ।

16 टिप्‍पणियां:

  1. अभी समाजिक नजरिये(बेटियो के प्रति) को बदलने की जरुरत है ......वैसे एक बहुत सुन्दर पोस्ट .....बहुत बहुत आभार

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  2. फ़ेरे से कही ज्यादा दृढ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.

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  3. बिलकुल सही सोच है इसकी भी आज कल तो कोई सार्थकता नहीं रह गयी बाकी सात फेरों के बचन भी कौन निभाता है आजकल बस सोच बदलने की जरूर्त है आभार्

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  4. बहुएं भी तभी मिलेंगी जब आज बेटियाँ बचाओगे...

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  5. बहुत सही और अच्छी बात।

    सादर

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  6. बिल्कुल सही कहा अब बदलना ही होगा।

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  7. बहुत अच्छी राह... अनुकरणीय कदम...
    सादर...

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  8. एक को आई अक्ल अभी बहुत बाकी हैं.

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  9. स्वागतेय.वातावरण तैयार करना जरुरी है.

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  10. सभी राज्यों , जिलों और गावों के सभी जाती में,
    ये "आठवां फेरा" क़ानूनी रूप से लागु करना चाहिए.... !

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  11. भाव पूर्ण आव्हान....उजाले की किरण है....सादर !!

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