सोमवार, 14 मई 2012

कुछ समझाइशों के बादल ...!!!















कुछ विरोधी स्‍वर
मन में अपनी बातों की
पकड़ मजबूत रखते हैं
कोई कितना भी 
सच कहे
उसे यह ना मानने की 
जब शपथ ले लेते हैं
तो फिर 
नहीं मानते हैं ... 

कुछ समझाइशों के बादल
आंखों में तैरते जरूर हैं
लेकिन उन्‍हें 
बरसने के लिए
वक्‍त पर ही निर्भर
कर दिया जाता है ... 

एक शोर है आस-पास 
पर गुमनाम सा वह
कौन है जिसको
पुकार रहा है यह शोर  ...

उधार की जिन्‍दगी से अच्‍छा है
निज़ता का बोध
एक मील का पत्‍थर