इल्जाम दिये हैं अपनों ने कुछ इस तरह,
उपहार दिये जाते हैं हंस के जिस तरह ।
दुआओं की हसरत नहीं थी कभी भी मुझे,
सोचा न था मिलेंगी बद् दुआयें इस तरह ।
इसीलिए तो कहते हैं बिन मांगे मोती मिलें,मांगे मिले न भीख।
दिल के दर्द को बखूबी उतारा है
बहुत सुंदर.... लास्ट लाइंज़ बहुत अच्छी लगीं....
yयही नियम है दुनिया का। आभार।
आप सबके आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ।
Dukhad kintu katu satya.
ये इल्जाम और बददुआएं संभाल कर रखियेगा .....वक़्त बदलते देर नहीं लगती ......!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
bahut khub........agar uphaar ke badle urdu me tohfa hota to shayad aur accha lagta...
इसीलिए तो कहते हैं बिन मांगे मोती मिलें,मांगे मिले न भीख।
जवाब देंहटाएंदिल के दर्द को बखूबी उतारा है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.... लास्ट लाइंज़ बहुत अच्छी लगीं....
जवाब देंहटाएंyयही नियम है दुनिया का। आभार।
जवाब देंहटाएंआप सबके आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ।
जवाब देंहटाएंDukhad kintu katu satya.
जवाब देंहटाएंये इल्जाम और बददुआएं संभाल कर रखियेगा .....वक़्त बदलते देर नहीं लगती ......!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
bahut khub........
जवाब देंहटाएंagar uphaar ke badle urdu me tohfa hota to shayad aur accha lagta...