मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

जब भी मिले वो ....













रूह जब भी तड़पती है,
किसी की याद में,
सि‍सकियां
दम तोड़ देती हैं
उसके आगोश में ....।
मुहब्‍बत के
दस्‍तूर भूल कर
जब भी मिले वो
किसी ने किसी की
शिकायत नहीं की
एक दूसरे से ....।
वो गैरों की खुशी के लिये
हमेशा मिलकर जुदा होते रहे
और मुहब्‍बत पे अपनी
सितम करते रह‍े ...।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. gairon ki khushi ke liye we aansuon ko naseeb banate rahe ... jabki ishwar ne di thi jamane bhar ki khushi

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  2. आदरणीय सदा जी
    नमस्कार !
    ....बहुत सुंदर शब्द दिए हैं कविता को

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  3. sada ji
    rashmi di ne bilkul sahi kaha hai.sach hai gairon par jarur khushi lutani chahiye par apno ko khun ke aansu me dubo kar nahi.
    bahut hi behatren prastuti
    bahut abhut badhai
    poonam

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  4. गीत याद आ गया गैरों पे कर्म अपनो पे सितम ए जाने वफा ये ज़ुर्म न कर---।

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  5. किसी ने किसी की
    शिकायत नहीं की एक दुसरे से ....
    मुहोब्बत का दस्तूर
    कुछ इसी तरह निभा दिया जाता रहा है

    बहुत अच्छी नज़्म !

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  6. दर्द की अनुभूति होने लगी...
    आपने बहुत अच्छा लिखा.

    दुनाली पर पढ़ें-
    कहानी हॉरर न्यूज़ चैनल्स की

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  7. aap to bahut acchi, balki acchi hee nahi behtareen writer hain. aap k es blog ki sari rachnaayen padhi sabhi behad bhavpoorn, sachai ko byan karti,post lagin aap mere blog par aayin us ke aapka tahe dil se shukriya ....bass yun heen sampark banaaye rakhiyegaa :) many thanks..

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